Sandhyamishra

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लेखनी कहानी -19-Oct-2022

संस्मरण.... 
6 अक्तूबर, दिन- गुरूवार, मै अपने पति महोदय के साथ, इंदौर के एक प्रसिध्द तीर्थ, पितृ पर्वत गयी। इंदौर के सीमा से लगे पितृ पर्वत पर विराजमान पितरेश्वर हनुमानजी की 108 टन वजन वाली मूर्ति पवन पुत्र हनुमान के भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। इस मूर्ति की ऊंचाई करीब 72 फीट है, जो की दूर से ही नजर आ जाती है। इस प्रतिमा का निर्माण करने में ग्वालियर के 125 कारीगर लगे थे।जिन्होंने  इस प्रतिमा को 7 साल में  पूरा किया था।
हनुमानजी के चारों ओर 5 हाइमास्ट लगे हुए हैं। इससे रात में भी दिन जैसा दूधिया उजाला रहता है।

ऐसा माना जाता है, कि पितरेश्वर हनुमानजी की पूजा से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। विशेष दिनों में यहाँ लाइट और साउंड शो का भी आयोजन होता है।इसके लिए जर्मन से खास दो करोड़ की  लागत वाली लेजर लाइट मंगवाई गई थी। पितरेश्वर धाम के व्यवस्थापक बताते हैं, कि लेजर लाइट के जरिए हनुमानजी के प्रतिमा के सीने पर 7 रंगों में हनुमान चालीसा का चित्रमय वर्णन दिखाया जाता है।
( स्वरचित: संध्या मिश्रा) 
( महु, इंदौर, मध्य प्रदेश)

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5 Comments

Khan

20-Oct-2022 04:07 PM

Bahut khoob 💐👍

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Supriya Pathak

20-Oct-2022 12:46 AM

Bahut khoob 🙏🌺

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Bahut khoob likha hai aapne 🌺🙏💐

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